वैल्यूएशन क्या है?
वैल्यूएशन से हम ये समझने की कोशिश करते है की एक कंपनी दूसरी कंपनियों की तुलना में या खुद की पिछले 3 से 5 साल की तुलना में सस्ते दाम पर मिल रही है या महंगे दाम पर।
अमेरिका के सफल इन्वेस्टर बेंजामिन ग्राहम ने 1934 में लिखा था की हर कंपनी की एक सही वैल्यू होती है जो उसके शेयर की प्राइस से अलग होती है। और अक्सर ऐसा होता है की कंपनियों की शेयर प्राइस उसके सही वैल्यू से कम या ज्यादा हो जाती है। उन्होंने कहा की हमें किसी कंपनी में शेयर तब खरीदना चाहिए जब उसकी शेयर प्राइस उसके सही वैल्यू से कम हो, यानी जब कंपनी अंडरवैल्यूड हो, और शेयर्स को तब बेचना चाहिए जब उसकी हो जाती है। उन्होंने कहा की हमें किसी कंपनी में शेयर तब खरीदना चाहिए जब उसकी शेयर प्राइस उसके सही वैल्यू से ज्यादा हो, यानी जब कंपनी ओवरवैल्यूड हो।
उन्होंने ये भी कहा की सिर्फ ये जरुरी नहीं है की हम अच्छी कंपनियों में इन्वेस्ट करें, बल्कि ये भी जरुरी है की हम अच्छी कंपनियों में उस समय इन्वेस्ट करे जब वो अंडरवैल्यूड हो। कंपनियों की वैल्यूएशन ओवरवैल्यूड से अंडरवैल्यूड और फिर ओवरवैल्यूड के साइकिल में चलती रहती है। और हमारे प्रॉफ़िट्स पर इस बात का बहुत असर पड़ता है की हमने इस साईकिल में किस समय पर कंपनी में इन्वेस्ट किया है।
इसलिए, किसी भी कंपनी में इन्वेस्टमेंट करने से पहले हमें ये जरूर देखना चाहिए की कहीं हम किसी ओवरवैल्यूड कंपनी में तो नहीं इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं।